आराधन में सर्वोत्तम कैसे बने | How to be the Best in Worship | Bible Adhayan

   क्या आप पिता की इच्छा पूरी करने की चाहत रखते है ? क्या आपको पता है की हमारा स्वर्गया पिता सच्चे आराधको को बरी उत्सुकता के सथ खोज रहा है| सेवको से ज्यादा अपने प्रेमी की छह रख ता | पिता की आराधना कैसे करे , आरधना करते हुआ स्वर्ग के स्तर तक कैसे पहुंचे, आरधना से पिता की हिर्दय की इच्छा कैसे जाने, एक अद्भुत आराधना से हमारे शत्रु  को कैसे हराए और भी बहुत कुछ हम जानेगे आज के पोस्ट में | 


बाईबल - आराधना की पुस्तिका


आराधना शुरू से लेकर अंत तक

  क्या आपको पता है की बाईबल आराधना की पुस्तिका कहलाती है। वचनों का मुख्य विषय उत्पत्ति के प्रारंभिक शब्दों से प्रतित होता है "आदि में परमेश्वर ने " आराधना परमेश्वर से घुली होने के कारण आदि से मौजूद है। प्राचीनों के लिये आराधना व्यक्तिगत अनुभूति का हिस्सा थी| परमेश्वर ही उनका एकमेव केंद्रबिंदु तथा जीवन की मुख्य आशा थी। अनुग्रह के संपूर्ण साधन सामग्री में से आराधना, उच्चतम तथा महत्वपूर्ण साधन सामग्री है। परमेश्वर समस्त ब्रम्हाण्ड का परमप्रधान राजा होने से, उसकी आराधना करना सबसे सर्वोत्तम अनुभव है। अनुग्रह की अदभुत भेट प्रार्थना है; लेकिन आराधना का महत्व तो उसके बराबर का है। सुसमाचार तो अनिवार्य है; परंतु आराधना का अपना श्रेष्ट है आज पुनः कलिसिया में स्तुति और आराधना को पुनःस्थापित करने की जरूरत है। चलिये, बाईबल को आराधना की पुस्तिका के स्वरूप में समझने का प्रयास करे |


स्वर्गदूत

  जिन्होंने परमेश्वर की स्तुति आराधना की, ये अब तक परमेश्वर की महिमा में बने हैं| लेकिन जिन्होंने ऐसा नहीं किया, वे महिमा से वंचित होकर शैतान और उसके दूतो के साथ भटक रहे हैं। जरा सोचिये आराधना को नजरअंदाज करना कितना विनाशकारी हो सकता है |


आदम

  जब तक आदम और हव्या अदन की बाटीका में परमेश्वर की आराधना के खोजी रहे; उन में परमेश्वर की उपस्थिति का आनंद उमड़ते रहा। पर हव्या ने डीतान पर अपना ध्यान केंद्रित किया और आदम का झुकाव भी उसी दिशा में रहा तो वह अदन की वाटीका से, परमेश्वर की धन्य उपस्थिति से दूर होकर अपना ईश्वरीय तेज खो बैठे। वे सबकुछ खोकर समस्त मानवजाती को आत्मिक अंधियारे में खिंचते चले गये| आराधना ईश्वरीय महिमा की चमक लाती है, जब कि आराधना से वंचित रहना यानी लोगो को शैतान की गहरी विनाशकारी छाया में खिंचना है।


हाबिल 

  उचित आराधना के कारण हाविल एक सन्मानित पुरूष ठहरा और प्रथम शहीद होने का भाग्य उसे प्राप्त हुआ। कैन आराधना से वंचित होकर एक हत्यारा तथा भगोड़ा ठहरा। इस प्रकार आराधना एक मापदंड है, जो व्यक्ति को सन्मानित या फिर दोषी निर्धारित करती है।


शेत

  शेत के वंशज परमेश्वर की आराधना करने के कारण महिमा में भागिदार हो गये| (उत्पत्ति ४०२६)कॅन के वंशज जिन्होंने आराधना को ठुकराकर ; खुद को शॉपित ठहराया| हनोक और गृह परमेश्वर के साथ साथ चले, चे शेत के वंशज थे| केवल सच्चे आराधक ही परमेश्वर के बफादार सेवक बनते हुए, परमेश्वर की आशिषे अपनी आनेवाली पीढ़ियों तक पहुँचा सकते हैं। आराधना को नजरअंदाज करनेवाले भयानक वाद में नष्ट हो गये| वाकई स्तुति और आराधना व्यक्ति का अनंतकालिन भाग्य निश्चित करती हैं।


नूह

  नूह ने स्तुति के सामर्थ्य को जानते हुए, परमेश्वर के लिये एक वेदी बनाई और आराधना करते हुए होमवली चढाई परमेश्वर ने उसकी सुखदायक मुगन्ध पाकर अपने हृदय में मोचा 

"मनुष्य के कारण में फिर कभी भूमि को शाप न दूँगा अब से जब तक पृथ्वी बनी रहेगी तब तक बोने और काटने के समय, aण्ड और तपन, धूपकाल और शीतकाल, दिन और रात निरन्तर होते चले जाएँगे। (उत्पत्ति ८:२१,२२) 

  आराधना का ही नतीजा है की हम ऋतुओं की आशिषे कटनी और बोने के समय का आनंद उठाते हैं। कुहामा और वर्षा के कारण भूमि सिंचि जाती है। यह सभी सच्चे आराधना की आशिषे है। सचमुच सच्ची आराधना परमेश्वर के कोध को शांत करते हुए, राष्ट्रों को समृद्ध करती है।


अब्राहम 

  अब्राहम, नूह का वंशज एक अतुलनीय आराधक था यहोवा ने उसे मूरतों के उपासक से, यहोवा का उपासक बना दिया| उसके वंशजो के द्वारा पृथ्वी पर के समस्त राष्ट्र निरंतर आशिष पाते गये। हो, आराधकों के वंशज इस धरती पर धन्य कुल है। अवाहम जहाँ कही गया उसने, यहोवा की उपासना करने के लिये वेदी बनाकर आराधना की यहोवा के साथ उसका वहुमुल्य रिश्ता था | हर वक्त यहोवा ने उसके संग नई नई वाचाये बाधी उसने भी वेदीया बनाकर उस स्थान को यहोवा का नाम दिया। परमेश्वर अवाहन से दस बार मिलने आया हो, केवल आराधना को जीवन शैली बनाने वाला व्यक्ति ही परमेश्वर का दोस्त हो सकता है और परमेश्वर की ओर से प्रकाशन पाकर भविष्यद्वक्ता हो सकता है। आराधना परमेश्वर द्वारा घोषित अभिवचनों के उत्तराधिकारी होने आवश्यक है।


दाऊद

  शाऊल ने परमेश्वर की सन्दूक को कभी नहीं चाहा (इतिहास १३४३) लेकिन राजा बनते ही दाऊद की पहली इच्छा थी कि, वो अपने राजधानी में परमेश्वर की चाचा का सन्दूक स्थापित करे। उसने आराधना की व्यवस्था को बदल दिया| यह हर घड़ी परमेश्वर की आराधना करता और अपने मुख से लगातार प्रशंसा के गीत गाता| उसके लिये परमेश्वर स्तुति के योग्य आदरणीय था और यह दिन और रात परमेश्वर की स्तुति आराधना में डुबा रहता| यह उस में आनंद मनाता और अपना सारा हृदय परमेश्वर के सम्मुख उड़ेलता यह मिथ्यान में राज्य करनेवाले राजा को मनाते रहता। इसके अलावा, उसकी मनमा थी की उसकी पूजा निरंतर आराधना करने वाली सच्ची आराधक बने उसके नक्शे कदम पर राजतंत्र संभालने वाले राजा हमेशा विजयी रहे। तथापि विशालकाय पशुओं तथा मूर्तियों की आराधना करने वाले, घृणित राजशासकों द्वारा राज्य का पतन और शत्रुओं द्वारा विध्वंम हुआ|


दाऊद के संतान

  स्तुति उपासना का दिपक, जो दाऊद ने प्रारंभ में जलाया था उसके पश्चात बुझ गया| निवासमंडप गिर गया| निवासमंडप फिरसे खड़ा करने के लिये यीशु जो दाऊद की संतान, दाऊद की नगरी यरूशलेम में जन्मा उसने आकर आराधना की आत्मा को पुनर्जीवित किया | उसके जन्म के समय स्तुति आराधना का मानो विस्फोट हुआ। मरियम अति आनंद से गाने लगी


"मेरा प्राण प्रभु की बड़ाई करता है, और मेरी 

आत्मा मेरे उद्धार करनेवाले परमेश्वर में आनन्दित हुई" 

(लूका १२:४६)


 इलीशिबा और जकरयाह, दोनों ने हर्षोल्लाम मे इस्त्राएल के प्रभु की स्तुति की। स्वर्गदूत चरवाहों के सामने प्रगट हुए, ये महिमा और स्तुति करते हुए कहने लगे, 

"आकाश में परमेश्वर की महिमा और पृथ्वी पर उन मनुष्यों में जिनसे वह प्रसन्न है, शान्ति हो ।” (लूका २४१४)

 नन्हे मसीह की आराधना करते हुए गडेरिये लोटे 

"और गडेरिये जैसा उन कहा गया था. वैसा ही सब सुनकर और देखकर परमेश्वर की महिमा औ स्तुति करते हुए लौट गए" (लूका २:२० )

  उस के बाद मे ज्ञानी लोग भी यीशु की उपासना करने आये और मुँह के बल गिरकर बालक को प्रणाम किया | (मत्ती २:११) धन्य वे लोग जिन्होंने स्वप्नदर्शन द्वारा प्रभु को आमने सामने देखा | शमीन ने बालक यीशु को अपनी गोद में उठाया और परमेश्वर की आराधना की। उसी तरह हन्नाह जो एक भविष्यद्वक्तिन थी. रात दिन आराधना किया करती थी। इस प्रकार यीशु के जन्म के समय, सर्वत्र स्तुति आराधना से वातावरण गूंज उठा

  अगर मसीह के प्रथम शुभागम में इतनी आराधना हुई तो, फिर उसके दुसरे शुभागम के समय कितनी अधिक आराधना का आत्मा प्रभु हम पर उडेलेगा ? मसीह के प्रथम आगमन की प्रतीक्षा करने वाले संतों ने अपने आप को स्तुति आराधना से भर दिया था, तो फिर उसके महिमामय पुनरागमन के लिये, हमे खुद को किस तरह बढ़-चढ़कर स्तुति आराधना से भरते हुए तैयार रखना है?

  परमेश्वर ने मसीह के जन्म के दिन आज्ञा दी" परमेश्वर के सब स्वर्गदूत उसे दण्डवत करे" (इवानियों १४६ ) इसिलिये अवश्य है कि उसके दूसरे आगमन के समय भी ऐसी आज्ञा दी जाये| पोलुम लिखता है,


  "क्योंकि प्रभु आप ही स्वर्ग से उतरेगा, उस समय ललकार, और प्रधान दूत का शब्द सुनाई देगा, और परमेश्वर की तुम्ही फेंकी जाएगी" ( 2 थिस्सलुनीकियों 4:16 )


उत्साहपूर्ण आराधना के साथ प्रभु का पुनरागमन होगा वह आराधना के साथ आया और फिर से आराधना के साथ आयेंगा। धरती पर रहते हुए, निरंतर आराधना की अव यह महिमा के संतो से स्वर्गदूतों से और पृथ्वी पर रहने वाले उसके लोगों से आराधना लेने वापस आयेगा| 

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