आराधना का अर्थ | What is Worship | Bible Adhayan

आराधना का अर्थ


  गुलाब की खुशबु या मधु की मिठास, शब्दो के द्वारा महसूस नहीं की जा सकती| इन अनुभूतियों को मूंघने तथा चखने के द्वारा प्राप्त करना होता है बिलकुल उसी तरह आराधना एक अनुभूति है। अनेक लिखने वालों ने इस अनुभूति को उनके अनुभवों द्वारा प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया है। आज परमेश्वर के अनुग्रह से, उनके अनुभवों के साथ खुद के अनुभवों को भी जोड़ना चाहता हूँ।


  एक लेखक इस प्रकार वर्णन करता है, आराधना यानी धन्यवाद से उमड़ता हुआ कृतज्ञ हृदय, इसका अर्थ आराधना का स्रोत हृदय है, धन्यवाद के लों से भरा हृदय, सैलाब बन कर उमड़ने लगता है। आराधना की सेवा ओंठो से निकले हुए शब्दों में नहीं बल्कि हृदय की गहराईयों से, उमड़ उमड कर निकले हुए शब्दों द्वारा की जाती है। जब कोई परमेश्वर के असीम प्रेम को समझने लगता है, तो उसका हृदय धन्यवाद से लवालय हो जाता है और हृदय की बहुतायत के कारण मुँह खुलने लगता है और यही आराधना है।


  दाऊद कहता है "मेरा हृदय एक सुन्दर विषय की उमंगे से उमण्ड रहा है।" (भजनसहित ४५३१) यह सुंदर विषय मसीह के सिवाय और कीन मा हो सकता है? परमेश्वर की सुंदरता का ध्यान करते हुए हृदय फूलने लगता है। उसके अदभुत कार्यों को महिमा तथा उसके धार्मिकता का वर्णन करने के लिये, हमारे हृदय से अपने आप स्तुतिगान उमड़ने लगता है। दाऊद की भजन संहिता भी, परमेश्वर का धन्यवाद तथा आश्चर्यकमों से मोहित हृदय की रचना है। वह परमेश्वर से इतना आकर्षित था कि उसने परमेश्वर के विविध पहलुओं पर स्तुति गान किया। यह अवसर परमेश्वर को युद्ध में महाप्रतापी


योद्धा के समान देखता और सच्चाई से उसकी आराधना करता इसी प्रकार से हमे भी उसने किये हुए अनेक उपकारों को याद करते रहना है ताकि हमारा हृदय भी उन सभी बातों के लिये धन्यवाद से लबालब होने से, हमारे होठों द्वारा स्तुति अपने आप झलकती रहे।


एक और लेखक इस प्रकार कहता है आराधना एक उमंग है जो परमेश्वरीय उपस्थिति के बीच स्थायी, हृदय की उपज है यहाँ पर आराधक का हृदय प्रभु की उपस्थिती में शांती में तनाव मुक्त होकर, विश्राम कर रहा है उसके हृदय में अब किसी बात की वैचैनी नहीं रही। अब वह मसीह में खुद को परिपूर्ण और सिद्ध महसूस कर रहा है। उसके अंदर विश्वास की बहुतायत दिखाई देती। है। परमेश्वर का अस्तिव मानो सेव के पेड़ की छाया हो, जिसके निचे बैठा प्रेमातुर व्यक्ति संतृष्टि का आनंद लूट रहा हो। इस प्रकार का प्रेम आराधना को पकट करता है।


तथापि, एक और लेखक लिखता है कि अपनी जरूरतों को या आशिषों के विचारों को भूलकर सिर्फ और सिर्फ परमेश्वर की इच्छा करने को आराधना कहते है| कितना सत्य है यह! अपनी आवश्यकताओं को प्रभु के सम्मुख रखना, तथा परमेश्वर की आशियों के लिये उसे शुक्रिया करना, इन सब मे उभरकर अपना सारा हृदय, केवल प्रभु पर केंद्रित करने को आराधना कहते है। परमेश्वर ऐसा हृदय खोज रहा है, जो उसके इर्द-गिर्द पदक्षिणा कर रहा हो | इस अनुभव का दाऊद वर्णन करता है


"मैं अपने हाथों को निर्दोषता के जल से धोऊँगा, तब है यहोवा में तेरी वेदी की प्रदक्षिणा करूँगा| ताकि तेरा धन्यवाद ऊँचे शब्द से करूँ, और तेरे सब आश्चर्यकमों का वर्णन करें। (भजन संहिता २६०६७)


हाँ, परमेश्वर के वेदी की प्रदक्षिणा करना ही आराधना है। आज हम देखते है। अन्य जातियाँ, अनेक चार उनके मूर्तियों के इर्द-गिर्द घूमघूमकर आराधना करते हैं। जब हम हमारा मन और हृदय परमेश्वर की और पूरी तरह केंद्रित कर सकेंगे, तब हम परमेश्वर को परिपूर्णता से भर जायेंगे और हमेशा परमेश्वर के इर्द-गिर्द रहने की लालसा करेगे किसी बड़े व्यक्ति ने कहा है, आराधना यानी मूल्य को चढ़ाना !


परमेश्वर को संग्रहना और कृतज्ञतापूर्वक उसकी काबिलियत को मान लेना ही आराधना है| स्वर्ग में चीवीमा प्राचीन आराधना करते हुए यह कहते हैं,


"हमारे प्रभु और परमेश्वर तू ही महिमा और आदर और मामध्ये के योग्य है क्योंकि तू ही नेए सूजी और ये तेरी ही इच्छा से थी और मूंजी गई।" (प्रकाशितवाक्य ४३११)


हाँ, परमेश्वरीय महानता की बड़ाई करना ही आराधना है।

  प्रभु की हमारे आकर्षण का केंद्रबिंदु बनाकर अपने हृदय की सारी मोहत उस पर बरसाने की आराधना कहते है। परमेश्वर के प्यार के खातिर बेटी पर अपनी सबसे अजीज चीज चढ़ाना अपने परमेश्वर को पूरे हृदय, पूरी आत्मा तथा पूरी शक्ति से प्रेम करना ही आराधना है। अवाहन ने ऐसी ही आराधना की मिसाल कायम की उसने अपने सेवक से कहा "गदहे के पास यही करे रहो; यह लड़का और मैं यहाँ तक जाकर, और दण्डवत् करके, फिर तुम्हारे पाग लौट आएंगे (उत्पत्ति २२२५ यह अपने बेटे को बली चढ़ाने निकला था और उसके लिये यही आराधना थी। उसने अपने बेटे को परमेश्वर से बढ़कर नहीं जाना| एक आराधक के हृदय में यीशु प्रभु मे और उसके प्यार से बढ़कर कोई नहीं होता यही आराधना का भाव है, "हृदय धड़कते रहता है, प्राण पिया प्रभु से बढ़कर कोई नहीं जमाने में, कहता है।


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