यीशु मसीह का दुसरा आगमन कब होगा?
यीशु मसीह के दूसरे आगमन की भविष्यवाणियां उसके पहले आगमन की भविष्यवाणियां की गई थी और वो पूरी हुई। इससे हमें पूरा आश्वासन मिलता है कि उसके दूसरे आगमन को भविष्यवाणियां भी पूरी होगी और ये प्रतीकात्मक या आत्मिक भाव से पूरी नहीं होगी।
1.यीशु मसीह का दुसरा आगमन के बारे में नबियों द्वारा पहले से बता दिया गया था।
दानिय्येल 7:13
"मैने रात में स्वप्न में देखा, और देखो, मनुष्य के सन्तान सा कोई आकाश के बादलों समेत आ रहा था। "
- यीशु मसीह का दुसरा आगमन के विषय में स्वयं यीशु ने पहले से बता दिया था
मत्ती 25:31
"जब मनुष्य का पुत्र अपनी महिमा में आएगा और सब स्वर्गदूत उसके साथ आएंगे, तो वह अपनी महिमा के सिंहासन पर विराजमान होगा।"
- यीशु मसीह का दुसरा आगमन के बारे में पौलुस ने भी पहले से बता दिया था
1 तीमुथियुस 6:14
"तू हमारे प्रभु यीशु मसीह के प्रगट होने तक इस आज्ञा को निष्कलंक और निर्दोष रखा"
- इसको स्वर्गदूतों ने पहले से बता दिया था प्रेरितों के काम 1:10-11
जब यीशु मसीह का पहला आगमन हुआ था तो इनमे से कोई भी भविष्यद्वाणी पूरी नहीं हुई। यानी यह सारी भविष्यवाणी यीशु मसीह के दुसरे आगमन के विषय में की गई थी।
2. मसीह के आगमन का समय
यह इतना गुप्त है कि इसे केवल परमेश्वर ही जानते है,
मत्ती 24:36
"उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता स्वर्ग के दूत और पुत्र परन्तु केवल पिता।"
यीशु मसीह मनुष्य के रूप में उस तारीख को नहीं जानता थे, परन्तु यीशु मसीह परमेश्वर के रूप में सर्वज्ञानी है और निश्चित रूप से वह उनके दुसरे आगमन कब होगा यह जानते हैं।
मेरा विश्वास है कि यह एक ऐसा तारीख है जिसको आगे बढ़ाया या पीछे हटाया जा सकता है। (2 पतरस 3:12) यह प्रत्येक जाति तक सुसमाचार पहुंचाने की तेज या धीमी गति पर निर्भर है मत्ती 24:14 ।
3. यीशु मसीह कैसे आएंगे ?
यीशु मसीह का आना गुप्त या सार्वजनिक तोर पर हो सकता है।
- यीशु मसीह का आना गुप्त रूप से होगा
1 थिस्सलुनीकियों 5:2
"क्योंकि तुम आप ठीक जानते हो कि जैसा रात को चोर आता है, वैसा ही प्रभु का दिन आने वाला है।"
मत्ती 24:44,
“इसलिए तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा।"
उनसे मिलने के लिए आज ही से तैयार रहिए।
- यीशु मसीह का आना सार्वजनिक रूप से होगा
प्रकाशितवाक्य 1:7
"देखो, वह बादलों के साथ आने वाला है, और हर एक आँख उसे देखेगी, वरन जिन्होंने उसे बेधा था, वे भी उसे देखेंगे।"
मत्ती 24:30; तीतुस 2:13 भी पढें।
4. यीशु मसीह कहाँ पर आएंगे?
वेसे तो बाइबल मे जकर्याह 14:4 हमेें बताता है की यीशु मसीह जैतून पर्वत पर उतरेेंग।
5. उसके आने का ढंग
1) बादलों में मत्ती 24:30, "मनुष्य के पुत्र को आकाश के बादलों पर आते देखेंगे।"
2) अपने पिता की महिमा में: मत्ती 16:27, "मनुष्य का पुत्र अपने स्वर्गदूतों के साथ अपने पिता की महिमा में आएगा "
3) अपनी स्वयं की महिमा में: मत्ती: 25:31, "जब मनुष्य का पुत्र अपनी महिमा में आएगा।"
4) धधकती हुई आग में 2 थिस्सलुनीकियों 1:7.8 " (वह) धधकती हुई आग में स्वर्ग से प्रगट होगा, और जो परमेश्वर को नहीं पहचानते, और हमारे प्रभु यीशु के सुसमाचार को नहीं मानते, उनसे पलटा लेगा।"
5) सामर्थ्य और महान ऐश्वर्य के साथ मत्ती 24:30 “मनुष्य के पुत्र को बड़ी सामर्थ्य और ऐश्वर्य के साथ आकाश के बादलों पर आते देखेंगे।"
(6) जैसे सशरीर उसका स्वर्गरोहण हुआ; प्रेरितों के काम 1:9-11
7) ललकार और प्रधान दूत के शब्द के साथ: 1 थिस्सलुनीकियों 4:16, “क्योंकि प्रभु आप ही स्वर्ग से उतरेगा, उस समय ललकार और प्रधान दूत का शब्द सुनाई देगा, और परमेश्वर की तुरही फूंकी जाएगी।"
8) अपने सन्तों के साथ 1 थिस्सलुनीकियों 3:13, "जब हमारा प्रभु यीशु अपने सब पवित्र लोगों के साथ आए । "
9 ) स्वर्गदूतों के साथ मत्ती 16:27, ऊपर दिया जा चुका है। 10) अकस्मात मरकुस 13:36, "ऐसा न हो कि वह अचानक आकर तुम्हें सोते पाए। "
6. यीशु ख्रीष्ट के आगमन के चिह्न
2 तीमुथियुस 3:1-7 में उसके आने के 23 चिह्न दिए गए हैं; उनमें से अधिकांश आज बहुत अधिक प्रत्यक्ष है।
(1) कठिन समय
(2) असंयमी
(3) कठोर
(4) मनुष्य अपस्वार्थी होंगे
(5) लोभी
(6) भले के बैरी
(7) डींगमार
(8) विश्वासघाती
(9) अभिलाषी
(10) ढीठ
(11) घमण्डी
(12) निन्दक
(13) माता-पिता के अनाज्ञाकारी
(14) सुख-विलास के प्रेमी परमेश्वर के प्रेमी नहीं
(15) कृतघ्न
(16) भक्ति का भेष धरने वाले
(17) अपवित्र
(18) मायारहित
(19) पापों से दबी छिछोरी स्त्रियाँ
(20) सब प्रकार की अभिलाषाओं के वश में
(21) सदा सीखने वाली पर सत्य की पहचान तक कभी न पहुँचने वाली।
(22) क्षमारहित
(23) दोष लगाने वाले
मत्ती 24:5-7 और 12-38 में दस चिह्न दिए गए हैं:
(1) झूठे मसीह
(2) लड़ाइयाँ और लड़ाइयों की चर्चा
(3) अकाल
(4) महामारियां
(5) भुईडोल
(6) बहुतों का प्रेम ठण्डा पड़ जाना
(7) खाना
(8) अधर्म का बहुत बढ़ जाना
(9) पीना
(10) विवाह करना।
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